इस तरह आत्मा खुद ढूंढ़ लेती है आपको
गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि ‘आत्मा कभी नहीं मरती’। आत्मा अमर है, आत्मा ना जन्म लेती है ना मरती है। आत्मा एक ऐसी ऊर्जा है जो एक शरीर से दूसरे शरीर में प्रवेश करती है और समय आने पर उस शरीर को छोड़कर चली जाती है और तब तक किसी नए शरीर में प्रवेश नहीं करती जब तक आदेश ना हो।
यमलोक जाने का सफर
हिन्दू पौराणिक कहानियों के अनुसार आत्मा मरने के बाद विभिन्न पड़ाव पार करती है। यमलोक जाने के लिए वह कई तरह की अड़चनों को पार करती हुई जाती है। और यमलोक पहुंचने पर ही उस आत्मा के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा होने के बाद, उसे स्वर्ग या फिर नर्क की प्राप्ति होती है।
काश हम देख सकते
कितने रोचक हैं ये पौराणिक तथ्य, कभी-कभी मन में यह जिज्ञासा उत्पन्न होती है कि काश हम अपनी आंखों से वह दृश्य देख सकते। क्योंकि खुद देखने के बाद ही बातों पर यकीन होता है। कैसे आत्मा शरीर से अलग होती है, कैसे वह अपनी यात्रा आरंभ करती है, किस प्रकार से उसके कर्मों की गणना की जाती है और कैसे अंत में उसे स्वर्ग, नर्क या फिर एक नया शरीर प्राप्त होता है।
कितनी सच्चाई है इसमें
काश यह सब हम देख सकते, काश महसूस कर सकते। लेकिन एक चीज़ है जो हम महसूस करते हैं। एक चीज़ है जो हमारे आसपास है, लेकिन हमें उसका एहसास नहीं। समय आने पर वह चीज़ खुद हमें उसके होने का एहसास दिलाती है। वह बताती है कि ‘हां मैं हूं, मेरा वजूद है।
कहाँ है आत्मा
क्या है वह चीज़? कहां से आती है वह? क्यों आती है वह? जी हां… हम यहां ‘आत्मा’ की बात कर रहे हैं। विज्ञान इस बात को नहीं मानता, लेकिन कुछ घटनाएं आत्मा के होने का संकेत दे जाती हैं।