“कैसे पायें मृत्यु पर विजय पढ़िए इस लेख में”
आपको सुनने में अजीब लगेगा कि आखिर कैसे कोई मृत्यु पर विजय पा सकता है, हो सकता है आप हँसेंगे और महज इसको एक अन्धविश्वास ही समझेंगे, ये हम सभी जानते हैं कि जिसने जन्म लिया है उसका मरना स्वभाविक है पर आज हम आपको एक ऐसे बालक के बारे में बताने जा रहे जिसने भगवान शिव को अपनी तपस्या से प्रसन्न करके अमरत्व पाया और अपनी मृत्यु को पराजित किया। जानिए इस कथा के बारे में….
सृष्टि का प्रारम्भ कैसे हुआ किसने किया ये हम आपको अपने पहले लेख में बता चुकें हैं। प्राचीनकाल के समय की बात है, सृष्टि का आरम्भ होने के बाद महामुनि मृगश्रृंग के पुत्र श्री मार्कण्डेय जी ने अपने पूज्य पिता जी को देखकर अत्यंत विनम्रता से कहा- ‘आज आप बहुत दुखी और उदास दिखाई दे रहे हैं। आप की चिंता का क्या कारण है? आपको चिंतित देखकर मेरा हृदय बहुत परेशान हो रहा है।
महामुनि मृगश्रृंग ने कहा-‘बेटा!- तुम्हारी माता मरूधिति को कोई संतान न होने से मैंने उसके साथ तपस्या करके नागधारी शिव को प्रसन्न किया था। तब श्री महेश्वर ने प्रकट होकर हमसे वर मांगने के लिए कहा। कृतार्थ जीवन होकर मैनें पारवती बल्लभ से याचना की- कि अब तक मुझे कोई संतान नहीं हुई। मैं आपसे एक पुत्र चाहता हूँ। मैंने तुरंत प्रभु के चरणों में निवेदन किया- मैं मूर्ख, गुणहीन पुत्र नहीं चाहता, मुझे अनुपम, गुणवान एवं सर्विज्ञ पुत्र ही चाहिए चाहे उसकी उम्र कम ही क्यों न हो!